Alone, being lonely is as they say, a state of mind.
Let me prove it to you.
अकेला कौन है?
जब भी किसीने कुछ नया करना चाहा
वो अकेला रहा.
जब भी किसीने अपने मन से जीना चाहा
वो अकेला रहा.
जब भी किसीने अपने आप से सच कहा
वो अकेला रहा.
जब भी किसीने सच सुन्ना चाहा
वो अकेला रहा.
अकेला क्यों रहा?
दुनिया के कुछ नियम और कानून है,
जो मानता है बस उसे ही मालूम है,
खुद को अगर आईने में देख सकते हो तोह,
बात मेरी तुम्हे मालूम है.
अपने शर्तो पे जीना सीखा,
अपनी बात को कहना सीखा,
जो सही लगा वही पूछना सीखा,
बिना झिजक के उड़ना सीखा.
किया वही जो मान से आया,
सुन्ना उसी को जिसको हमने समझाया,
सही चलने की कोशिश में कही,
अपने आपको अकेला पाया.
अकेला हुआ पार अकेला नहीं था,
साथ कभी कम नहीं था,
जब सन्नाटा छाया चारो और,
दर लगा पर साथ वही था.
साथ कौन था?
साथ थी मेरे वो यादें,
वो नजाने कितनी सीख और बाते,
बचपन से जो संजोया था वो,
आईने से करता था बाते.
में अकेला पड़ा पर में नहीं गया
काफी कुछ सहा और काफी कुछ कहा,
बेकार फ़िज़ूल का दर था मेरा,
क्युकी में खुद को ही भूल गया.
अकेला कौन है?
अकेला कोई नहीं, अकेली सोच है.
विकलांग करने वाली चोट है.
जब भी लगे अकेलापन सा,
खुद को ढूँढना बाकी सब खोट है.