कारवां
चारो ओर संगीत है,
बंद आँखों में भी एक गीत है.
मंज़िल से ज्यादा रास्तो का नशा है,
मंजिल तो बस एक रीत है.
तलाश तो कार्वोह में खोने की है,
क्युकी खुद से मुलाकात वही लिखी है,
नहीं पड़ता फरक की बात गलत या सही है,
कार्वोह में ही मुझे असलियत मिली है.
हर मोड़ पे सब सुलझता लगता है,
सफर करता रहता हूँ ओर साया भी साथ चलता है.
कार्वोह में एक अलग सा सुकून झलकता है,
सच बोलू तो खुद को खो के ही पाना अच्छा लगता है.
सफर में पता नहीं क्या नज़ारा दिख जाये
जाने कौन सी बात यह बंजारा सीख जाये,
हर दिन एक नई कहानी लिख सकू में,
न जाने कौनसे कारवां में मुझे मेरी मंज़िल मिल जाये.
Loved it 👍🙏
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Thanks. Wrote it while I was on a trek so the emotions are in the purest form
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Wonderful
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Can totally relate. Great work.
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Takes one to know one.
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I could relate with emotions, emotions of every traveller, love this 🙂
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A good emotion to have in the arsenal 🙂
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Yes 🙂
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बहुत सुंदर अभिव्यक्त किया है 👌🏼👌🏼
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Thank you 🙂
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You’re doing ossam work. Liked your poetry n audios 👏👏😊😊😊
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Thank you 🙂
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