एक बात कहनी थी

To you, for you.

 

 

यार एक बात कहना चाहता हूँ
हो सके तो २ मिनट तुम्हारा धियान चाहता हूँ
कोई कहानी या पहेली नहीं सुनाना चाहता हूँ,
बस तुम्हे जिससे मेरी आवाज़ सुनाई दे रही है,
उससे एक बात कहना चाहता हूँ .

एक अजीब सा रिश्ता है हमारा,
न तुम कभी जीते न में हारा,
मिले है हम बिना मिले कभी,
में आवारा तू बंजारा.

नहीं पता तुम्हारी खुबिया,
नहीं पता तुम्हारे जज़्बात,
नहीं पता कितनी है दूरिया,
फिर भी देखो, सुनाई दे रही है न मेरी आवाज़…

जो भी हो, जहा भी हो,
सही कहु तोह अपने आप में सही हो,
क्युकी कोई अपना नहीं कहता आजकल,
यार तुम इंसान बहुत अच्छे हो.

अपने जांचते ज्यादा है और जानते काम,
पर अंजानो से कैसा गम?
जो भी कहता है, तुममे नहीं दम,
कहना उसने, जरा चले तुम्हारे रास्तो में चार कदम…

यार एक बात तोह कहना भूल ही गया,
अनजाना हूँ, नाम बताना रह ही गया,
पर नाम में क्या रखा है?
जो कहना था वो तो में कह गया…

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An engineer who finds joy, comfort and peace by writing poems and strumming chords. Come, let me take you to an alternate reality.

2 thoughts on “एक बात कहनी थी

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