चलूँगा में तेरे साथ,

 

चलूँगा में तेरे साथ,
आज तू अकेला नहीं, में भी हूँ.
दर मत, डरने की नहीं है कोई बात,
बीत जायेगा यह भी, जैसे हर रात.

चलूँगा में तेरे साथ,
क्युकी मंज़िल मेरी भी वही है.
यहाँ वह जीते है जिनमें होते है जज़्बात,
सिर्फ तू जानता है की तू सही है.

चलूँगा में तेरे साथ,
और देखूंगा तुझे जीतते हुए.
कहने दे जिससे जो कहना है,
बॉस कुछ वक्त तो बिताने दे.

चलूँगा में तेरे साथ,
और खुद भी अपनी मंज़िल ढूढ़ लूंगा.
यह सब फ़िज़ूल लगेगा तब,
जब में खुद से खुद को जीत लूंगा.

 

 

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An engineer who finds joy, comfort and peace by writing poems and strumming chords. Come, let me take you to an alternate reality.