बैरहाल यहाँ आलम कुछ खास है,
लगता है कोई नया राज है.
अंजानो की महफ़िल में,
चुना मैंने खुद का अंदाज है.
सब ख़ैरियत है ऐसा मुझे एहसास है,
खौफ के ज़माने में दिल जाबाज़ है.
पर क्या करे, अपनों की फिक्र है बोहत,
वह अपने जिनकी मुझे तलाश है.
तलाश जो कभी ख़त्म नहीं होती,
क्युकि अपने मिलते ही बेगाने हो जाते है.
इसीलिए अब वक़्त जाया नहीं करते हम,
खुद की ख़ैरियत में खुश हो जाते है.
Learn to be happy when you are happy.