बोलना

 

केह दो जाके उनसे
समय अब उल्टा बहेगा.
शब्दों से नहीं पर मन से,
कोई अपनी बात कहेगा.

लिखा तो सब पढ़ लेंगे,
पर मन की बात सिर्फ वही सुनेंगे
जिनके लिए जरुरी होगी.
अब और बातें अधूरी नहीं रहेगी.

मुझसे पूछना मत और न ही में बताऊंगा,
बस आँखों को देखना और में केह जाऊंगा.
हस्सी और आंसू में घंटो तक कही
गुंगा बनके अपनी कहानी लिख जाऊंगा.

और तुम्हे भी जवाब सही लगेगा
क्युकि वही तुम चाहते होंगे.
गलत फैमि का अफ़सोस ही नहीं रहेगा…
जब मन से कोई अपनी बात कहेगा.

 

 

Since we only hear what we want to hear, why don’t we just communicate with our eyes?

-Nishant, The Poet and the Pen

2 responses to “बोलना”

    1. Nishant Gang Avatar

Leave a comment

Blog at WordPress.com.