एहसास कभी गया ही नहीं
आवाज़ कभी बदली ही नहीं
खवाब जो देखे थे हमने
आज भी मेह्फूस है यही कही
चेहरे जरूर बदल गए
दिल में दर्द जरूर बढ़ गया
हसना जरूर हम भूल गए
फिर भी मुस्कुराते रहना अब में समझ आगया
नींद अब उतनी जरुरी नहीं
पर जीना अब जरुरत बन गया
बातें तो आज भी हैं अनकही
उन्हें में शायद लिखना भूल गया
किरदार निभाना अब आगया
पर किरदाना चुनना आज भी समझ रहा हूँ
दौड़ना तो बहुत पहले सीख गया था
अब गिरके उठना सीख रहा हूँ
निकले थे हम साथ में
अब बस साथ ढूढ़ रहा हूँ
शायद ज़िन्दगी के असली पड़ाव में
अपने आप को चढ़ते देख रहा हूँ
कोई छोर नहीं है हमारा यहाँ
ना ही हम यहाँ के थे कभी
कुछ वक्त बिताके मिलेंगे हम सब वहा
जहा गिरके पौंछगे हम सभी