सच और झूठ? किसे पता.
चलो ठीक है माना,
सब का अपना अलग सच होता है.
यह भी हमने जाना,
हर कहानी में तू खुद रोता है.
पर एक बात जरा समझाना,
सच में सच क्या होता है?
कुछ कहानियों में हम अच्छे होते है,
कुछ में बोहत बुरे.
कुछ में हम थोड़े अनजाने रहते है,
तो कुछ में पुरे.
अपने समझे सच का सार समझते रहते है,
वो सार जो होते है अधूरे.
दूसरे क्या सुननेगें जरुरी नहीं,
यहाँ कोई पूरा सही नहीं,
झूठ में झूठ और सच में सच नहीं,
किसी और के नज़रो में तू तू नहीं.
खुद की नज़रो में उठ अब,
दुसरो को नहीं खुद को समझा अब,
सच और झूठ शब्द है सब,
कौन क्या है, यह पता चला ही कब?
बेहद खूबसूरत👏👏👏👌👌
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Thanks 🙂
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बहुत शानदार 👌👌
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Dhanyawad 😊
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Right and very well written ……. 👌🏻🌷
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Thanks 🙂
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Most Welcome …😇🌷
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Superb. 👏👏👏😊
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